डिप्रेशन से पीड़ित व्यक्तियों को हार्ट अटैक आने का खतरा ज्यादा, जानिए हृदय रोगों का अवसाद से क्या है सम्बन्ध

बेवजह तनाव-अवसाद कई दूसरी बीमारियों का कारण बनता है, शोध के मुताबिक अवसाद हृदय रोगों का कारण बनता है.

डिप्रेशन (अवसाद) और हृदय रोग के बीच संबंध के बारे में लंबे समय से ज्ञात है। वास्तव में यह द्विमार्गी संबंध है। यह पाया गया है कि डिप्रेशन (अवसाद) हार्ट अटैक से जुड़ा हुआ है और यह हृदय रोग से पीड़ित 25% तक के मरीज़ों में मौजूद होता है। वहीं दूसरी ओर कई मरीज़ों में हार्ट अटैक के आने से डिप्रेशन (अवसाद) की समस्या भी आ सकती है।

इस बात के कई सबूत मौजूद हैं कि जिन लोगों को डिप्रेशन की समस्या नहीं है, उनकी तुलना में डिप्रेशन के विकार या लक्षणों से पीड़ित वयस्कों में कोरोनरी धमनी रोग विकसित होने या हार्ट अटैक या कार्डिएक डेथ का खतरा बहुत ज़्यादा होता है।

हृदय रोगों का अवसाद से क्या सम्बन्ध है?



हालांकि यह संबंध अभी भी गूढ़ बना हुआ है। क्या वास्तव में डिप्रेशन के कारण हृदय रोग होता है? क्या हृदय रोग होने के कारकों में से एक डिप्रेशन है? या क्या हृदय रोग के होने या ह्रदय की किसी प्रमुख सर्जरी के होने का परिणाम डिप्रेशन है? इन सवालों के जवाब देना बहुत मुश्किल है क्योंकि डिप्रेशन की बीमारी का मापन उस प्रकार किया जाना संभव नहीं है जैसे रक्तचाप, खून में शक्कर, खून में कोलेस्ट्रोल, शरीर का वजन इत्यादि में किया जाता है। इसलिए यह संबंध ज़्यादा से ज़्यादा प्रेक्षणात्मक ही रहता है।

हाल ही में किए गए अनुसंधान ने डिप्रेशन और हृदय रोग के बीच एक स्वतंत्र रोगकारक जुड़ाव की संभावना के बारे में नई और गहन जानकारी सामने लाई है। डिप्रेशन के कारण स्वचालित रुप से तंत्रिका तंत्र दुष्क्रिया, कोर्टिसोल के बढ़े हुए स्तर और प्रदाह या इन्फ्लामेशन के बढ़े होने के संकेत मिल सकते हैं और यह सभी हृदय की समस्या होने की जोखिम में वृद्धि कर सकते हैं।

हालांकि, इसके लिए बड़े पैमाने पर अतिरिक्त अध्ययन द्वारा पुष्टि किए जाने की आवश्यकता है। इसके साथ ही डिप्रेशन और हृदय रोग के बीच एक निश्चित कारण व प्रभाव संबंध स्थापित करने के लिए ऐसे अध्ययन किए जाने की भी आवश्यकता है जो यह दर्शाते हों कि डिप्रेशन का उपचार करने से भविष्य में हृदय रोग होने के जोखिम में कमी के परिणाम प्राप्त हो सकते हैं।

वहीं दूसरी ओर, हृदय रोग का कारण बनने में डिप्रेशन का एक अप्रत्यक्ष संबंध हो सकता है। डिप्रेशन के कारण व्यक्ति धूम्रपान करना, कम व्यायाम, अस्वाथ्यप्रद आहार की आदतें और दवाइयों का सेवन सही तरीके से न करना इत्यादि जैसे अनुचित जीवनशैली अपना सकता है और यह सभी आदतें उच्च रक्तचाप, डायबिटीज़ मेलिटस, हाइपरलिपिडिमिया और मोटापा जैसी समस्या विकसित होने के खतरों को बढ़ाने का काम करती हैं, और इन सभी के बारे में यह ज्ञात है कि यह ह्रदय संबंधी खतरे के कारक हैं और यह साबित किया जा चुका है कि यह हृदय रोग के खतरे में वृद्धि करते हैं।

इस प्रकार ऐसे कई मार्ग हैं जिनके माध्यम से डिप्रेशन के कारण हृदय रोग हो सकता है और इसके बारे में भावी अनुसंधान हमें और भी नई जानकारी से अवगत कराएगा।

इनपुट्स: डॉ. तिलक सुवर्णा, सीनियर इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट, एशियन हार्ट इंस्टीट्यूट

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ