Men Health Week: इन 7 कारणों से पुरुष जल्दी हो सकते हैं दिल की बीमारियों के शिकार, एक्सपर्ट से जानें कैसे बचें

Early signs of heart disease in males: पुरुषों में दिल की बीमारी के लक्षण भी महिलाओं की तुलना में अलग होते हैं। ऐसे में जानना जरूरी है कि आखिरकार पुरुषों में दिल की बीमारियों का खतरा ज्यादा क्यों है।

पुरुषों और महिलाओं के बायोलॉजिकल बनावट अलग होने की वजह से दोनों में एक ही रोग के लक्षण कई बार अलग नजर आते हैं। यही वजह भी है दोनों में रोग तो समान हो सकते हैं लेकिन इन रोगों का कारण और लक्षण अलग होते हैं। लेकिन क्या पुरुषों में दिल की बीमारी महिलाओं से अलग हो सकती है (Are men more prone to heart diseases)? इसके बारे में हमने डॉ. वेद प्रकाश सक्सेना, कार्डियोलॉजिस्ट,अजंता हॉस्पिटल लखनऊ से बात की। डॉ. सक्सेना बताते हैं कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों का दिल बड़ा होता है। इसके ब्लड वेसेल्स और अलग-अलग चैंबर्स महिलाओं की तुलना में अलग होते हैं।



उदाहरण के लिए, एक महिला का दिल आमतौर पर छोटा होता है, जैसा कि उसके कुछ आंतरिक कक्ष होते हैं। इनमें से कुछ कक्षों को विभाजित करने वाली दीवारें पतली होती हैं। इसलिए एक महिला का दिल एक पुरुष की तुलना में तेजी से पंप करता है, यह प्रत्येक पंपिंग के साथ लगभग 10% कम खून निकालता है। इसी ऐसे समझिए कि जब एक महिला तनाव में होती है, तो उसकी पल्स रेट बढ़ जाती है। जब एक आदमी तनाव में होता है, तो उसके दिल की धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे उसका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। इस तरह पता चलता है कि लिंग कोरोनरी धमनी रोग (सीएडी) के लक्षणों, उपचारों और परिणामों में एक भूमिका निभाता है। तो, आइए विस्तार से जानते हैं पुरुषों में दिल की बीमारियों का कारण(causes of heart disease in men)

पुरुषों में दिल की बीमारियों का कारण-Why are males more at risk for heart disease in hindi

1. पुरुषों में महिलाओं से अलग होता है कोलेस्ट्रॉल जमना (Cholesterol deposition is different in men from women)

दिल का दौरा तब पड़ता है जब धमनियों की दीवारों के अंदर कोलेस्ट्रॉल प्लाक बन जाता है और प्रमुख रक्त वाहिकाओं में क्षति का कारण बनता है। पुरुष आमतौर पर इस प्लाक बिल्डअप को सबसे बड़ी धमनियों में विकसित करते हैं जो हृदय को रक्त की आपूर्ति करती हैं। महिलाओं में इस बिल्डअप को हृदय की सबसे छोटी रक्त वाहिकाओं में विकसित होने की अधिक संभावना होती है, जिसे माइक्रोवैस्कुलचर के रूप में जाना जाता है। इसके अलावा कम घनत्व वाले लिपोप्रोटीन (low density lipoprotein) कोलेस्ट्रॉल महिलाओं की तुलना में पुरुषों में कार्डियोवैस्कुलर रोगों के खतरे को ज्यादा बढ़ाते हैं।

2. फिजिकल एक्टिविटी में कमी (Physical inactivity)

महिलाएं पुरुषों की तुलना में ज्यादा एक्टिव होती हैं क्योंकि वे ऑफिस के कामों के साथ घर के छोटे-बड़े कामों में भी लगी रहती हैं। वहीं पुरुष ज्यादा बैठने वाले काम करते हैं जैसे कि जॉब, गाड़ी चलाना या फिर घर पर कोई और काम करना। वे उस तरह से फिजिकली एक्टिव नहीं होते हैं जिस तरह से महिलाएं होती हैं। इसलिए फिजिकल एक्टिविटी की कमी पुरुषों में दिल की बीमारियों का कारण बनता है। इसलिए डॉक्टर का कहना है कि पुरुषों को महिलाओं के साथ मिल कर छोटे-छोटे काम करना चाहिए क्योंकि बड़े कामों की तुलना में लगातार छोटे-छोटे कामों को करते रहना शरीर की चर्ब घटाने में मददगार है और ये फैट जमा होने से रोकता है।h

3. हाई बीपी की समस्या (high blood pressure)

हाई बीपी की समस्या हमेशा से ही हृदय रोगों से जुड़ा हुआ है। ये डायस्टोलिक दिल की विफलता और स्ट्रोक का एक महत्वपूर्ण कारण है। महिलाओं और पुरुषों में सिस्टोलिक और डायस्टोलिक बीपी में एक अलग प्रवृत्ति देखी गई है। युवा महिलाओं की तुलना में युवा पुरुषों में सिस्टोलिक बीपी अधिक होता है। वास्तव में, युवा पुरुषों में  हाई ब्लड प्रेशर का सबसे आम कारण सिस्टोलिक हाई बीपी ही है। इसके पीछे एक कारण ये हो सकता है कि महिलाओं की तुलना में पुरुषों में एलडीएल-सी का अधिक प्रभाव होता है और आगे चल कर ये हायपरटेंशन का कारण बन जाता है।

4. लो टेस्टोस्टेरोन लेवल (Low Testosterone)

लो टेस्टोस्टेरोन लेवल को अक्सर कम सेक्स ड्राइव के रूप में माना जाता है, लेकिन ये हृदय रोग और टाइप 2 डायबिटीज से भी जुड़ा हुआ हो सकता है। दरअसल, टेस्टोस्टेरोन हार्मोन मेटाबोलिज्म को ठीक रखने में भी मदद करता है और ये हाई ब्लड प्रेशर, हाई शुगर और अनहेल्दी कोलेस्ट्रॉल को पचाने के लिए जरूरी है। ऐसे में लंबे समय तक टेस्टोस्टेरोन लेवल का लो होना आपको दिल की बीमारियों का शिकार बना सकता है।

5. स्ट्रेस (Stress)

तनाव, क्रोध और चिंता रक्तचाप और तनाव हार्मोन के स्तर को बढ़ाते हैं और वे हृदय में रक्त के प्रवाह को प्रतिबंधित कर सकते हैं। कुछ नुकसान तत्काल हो सकता है। उदाहरण के लिए, ज्यादा टेंशन लेने से आपको दिल का दौरा पड़ सकता है और स्ट्रोक हो सकता है। इसके अलावा, पुराने तनाव धमनियों को नुकसान पहुंचा सकते हैं। पुरुषों में ये भी एक बड़ा कारण है कि उनमें हृदय रोग विकसित होने का जोखिम अधिक होता है। इसके अलावा अतिरिक्त चिंता या तनाव नींद को भी प्रभावित कर सकता है, जो बदले में हृदय स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।

6. धूम्रपान और शराब का सेवन (Smoking and alcohol intake)

धूम्रपान हृदय रोग के विशिष्ट कारणों में से एक है, जिससे प्रति वर्ष लगभग 6 मिलियन लोगों की मृत्यु होती है। दरअसल, भारत जैसे देशों में पुरुषों में शराब का सेवन महिलाओं की तुलना में बहुत ज्यादा है। इसके अलावा धूम्रपान करने की आदत भी पुरुषों में ज्यादा है। इसलिए उम्र बढ़ने के साथ पुरुष महिलाओं की तुलना में दिल की बीमारियों का ज्यादा शिकार हो जाते हैं।

7. उम्र और दूसरे खतरे (Age and other Risk Factors)

हृदय रोग का उम्र के साथ महत्वपूर्ण संबंध है, लेकिन यह लिंग में भिन्न होता है। पुरुषों में, हृदय रोग का जोखिम समय के साथ बढ़ता है। साथ ही पुरुषों में एथेरोस्क्लोरोटिक प्रक्रिया लगातार विकसित हो रही होती है। जबकि महिलाओं में ये मेनोपॉज के बाद होता है। यही एक कारण है कि 40 और इससे कम उम्र के पुरुषों में हार्ट अटैक के मामले ज्यादा होते हैं जबकि महिलाओं में ये मेनोपॉज के बाद होता है।

इसलिए इन तमाम कारणों को जान कर पुरुषों को इन सबसे बचना चाहिए और अपने दिल को हेल्दी रखने की कोशिश करनी चाहिए।

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